सरकार के काम पर मुहर लगाएंगे चव्हाण

सरकार के काम पर मुहर लगाएंगे चव्हाण


भोपाल में करेंगे समीक्षा



भोपाल । मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के एक साल के काम की समीक्षा जल्द होगी। सरकार ने पिछले साल दिसंबर में एक साल पूरा होने पर ‘विजन टू डिलेवरी’ डॉक्युमेंट पेश किया था। उस वक्त मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 365 दिन में वचन-पत्र में किए गए 365 वादे पूरे करने की बात कही थी। अब मेनीफेस्टो इप्लीमेंटेशन कमेटी के चेयरमैन पृथ्वीराज चव्हाण भोपाल में बैठक कर वचन-पत्र में किए गए वादों पर अमल के क्रियान्वयन की समीक्षा करेंगे। हालांकि, अब तक इसकी तारीख तय नहीं हुई है। मगर कहा जा रहा है कि चव्हाण का फोकस इस बात पर रहेगा की सरकार ने अब तक वचन-पत्र में किए गए वादों में से कितने पूरे किए हैं और उन पर अमल की जमीनी हकीकत या है। बैठक में इस बात पर भी चर्चा की जाएगी वचन-पत्र किए गए वादों को पूरा करने में सरकार के सामने या परेशानी आ रही है। दरअसल, कांग्रेस हाईकमान ने मप्र में वचन-पत्र के क्रियान्यवन की मॉनीटरिंग को लेकर जनवरी में मेनीफेस्टो इप्लीमेंटेशन कमेटी का गठन किया था। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है। इसके अलावा कमेटी में अर्जुन मोधवाडिया, सीएम कमलनाथ और प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया को शामिल किया गया है। सूत्रों का कहना है कि कमेटी के गठन के कुछ दिन बाद मुख्यमंत्री नाथ विदेश चले गए थे, इसलिए बैठक की तारीख तय नहीं हो पाई थी। संभवत: कमेटी की बैठक इसी महीने होगी। मप्र में सरकार और कांग्रेस संगठन के बीच सामंजस्य बैठाने के लिए पार्टी हाईकमान की ओर से गठित समन्वय समिति की बैठक भी अब तक नहीं हुई है। समिति के चेयरमैन दीपक बाबरिया का कहना है कि जल्द ही समिति की बैठक आयोजित की जाएगी।
अब तक अधूरे हैं कई वादे
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव-2018 से पहले कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी किया था, जिसे वचन-पत्र नाम दिया गया था। वचन-पत्र में किसानों की कर्ज माफी, एक रुपए यूनिट बिजली, किसानों का बिजली बिल हाफ, सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि 300 से बढ़ाकर 1000 रुपए, विधान परिषद का गठन, बेरोजगारी भत्ता जैसे वादे किए गए हैं। 112 पन्ने के वचन-पत्र में 973 वादे शामिल किए गए हैं। हालांकि सरकार अब तक वचन-पत्र के कई महत्वपूर्ण वादों को पूरा कर चुकी है, लेकिन विधान परिषद का गठन, बेरोजगारी भत्ता, वकीलों, पत्रकारों के लिए सुरक्षा अधिनियम, पेट्रोल-डीजल पर छूट जैसे वादे अब तक पूरे नहीं किए जा सके हैं। इनको लेकर विपक्ष समय-समय सरकार पर निशाना साधता रहता है। बजट की कमी है, इसलिए अब वह ऐसे वादों को पूरा करने पर ज्यादा जोर दे रही है, जिन पर पैसे खर्च नहीं होने हैं।



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